हर लम्हा सुकूँ का - Love Shayari - शायरी संग्रह - Shayari Sangrah

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हर लम्हा सुकूँ का - Love Shayari

हर लम्हा सुकूँ का - Love Shayari

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हर लम्हा सुकूँ का यूँ इंतज़ार किया है..
नादाँ हूँ नादाँ ही रहा बस प्यार किया है..
ख्वाब रहे चुप फिर नींदे बोलती रही,
यूँ खामोश निगाहो से उन्हें याद किया है..
एक जश्न है पर जश्न सा माहौल नहीं है..
ना गिरफ्त में है ना हमे आजाद किया है..
उसकी ही चाह में ये जहाँ छोड़ जाएंगे,
के चेहरे का नहीं रूह का दीदार किया है..
मतलब है मेरा पर मैं कोई लफ़्ज़ नहीं हूँ..
जज्बात हूँ जज्बात ने लाचार किया है..
सारी की सारी दूरियाँ भूल गया दिल..
वो भूल ही थी जिसने हमे पास किया है..
मैं मन्नतो में बस क्यों उसे ही माँगता रहा..
दुआ ने मेरी ये रूठकर सवाल किया है..
अब मुझे भी किसी बात पर इंकार नहीं है..
कह दिया तो कह दिया हाँ प्यार किया है..

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