हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए,.,!!
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए,.,!!
हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में,
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए,.,!!
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए,.,!!
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए,.,!!
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Ho gayi hai peer parvat si pighalni chahiye
Is himalaya se koi ganga nikalni chahiye
Aaj yah deewar pardon ki tarah hilne lagi
Shart lekin thi ke ye buniyad hilni chahiye
Har sadak par , har gali me, har nagar har gano me
Haath lahrate huye har lash chalni chahiye
Sirf Hangama khada karna mera maksad nahi
Sari koshish hai ke ye soorat badalani chahiye
Mere seene me nahi to tere seene me hi sahi
Ho kahi bhi aag lekin aag jalni chahiye
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