एक स्त्री के योनि से जन्म लेने के बाद उसके वक्षस्थल से निकले दूध से अपनी भूख,प्यास मिटाने वाला इंसान बड़ा होते ही औरत से इन्हीं दो अंगो की चाहत रखता है, और अगर असफल होता है, तो इसी चाहत में वीभत्स तरीको को अंजाम देता है...! बलात्कार और फिर हत्या...! जननी वर्ग के साथ इस तरह की मानसिकता क्यूँ...? वध होना चाहिए ऐसी दूषित मानसिकता के लोगों का..... मेरे दूध का कर्ज़ मेरे ही खून से चुकाते हो कुछ इस तरह तुम अपना पौरुष दिखाते हो दूध पीकर मेरा तुम इस दूध को ही लजाते हो वाह रे पौरुष तेरा तुम खुद को पुरुष कहाते हो हर वक्त मेरे सीने पर नज़र तुम जमाते हो इस सीने में छुपी ममता क्यों देख नहीं पाते हो इक औरत ने जन्मा ,पाला -पोसा है तुम्हें बड़े होकर ये बात क्यों भूल जाते हो तेरे हर एक आँसू पर हज़ार खुशियाँ कुर्बान कर देती हूँ मैं क्यों तुम मेरे हजार आँसू भी नहीं देख पाते हो हवस की खातिर आदमी होकर क्यों नर पिशाच बन जाते हो हमें मर्यादा सिखाने वालों तुम अपनी मर्यादा क्यों भूल जाते हो हमें मर्यादा सिखाने वालों तुम अपनी मर्यादा क्यों भूल जाते हो...! पोस्ट अच्छी लगी हो तो ज्यादा से ज्यादा शेयर करें..🙏 कृपया अपनी और दूसरों की माताओं बहनों का सम्मान करें 🙏 #copy_by #VermaHindustani - शायरी संग्रह - Shayari Sangrah

शायरी संग्रह - Shayari Sangrah

All heart touching shayari here only on Shayari Sangrah.Hindi Shayari Collections is the best ever app for Shayari Lovers. Choose from among the best and most heartfelt shayaris.Like on facebook

Post Top Ad

Responsive Ads Here
एक स्त्री के योनि से जन्म लेने के बाद उसके वक्षस्थल से निकले दूध से अपनी भूख,प्यास मिटाने वाला इंसान बड़ा होते ही औरत से इन्हीं दो अंगो की चाहत रखता है, और अगर असफल होता है, तो इसी चाहत में वीभत्स तरीको को अंजाम देता है...! बलात्कार और फिर हत्या...! जननी वर्ग के साथ इस तरह की मानसिकता क्यूँ...? वध होना चाहिए ऐसी दूषित मानसिकता के लोगों का..... मेरे दूध का कर्ज़ मेरे ही खून से चुकाते हो कुछ इस तरह तुम अपना पौरुष दिखाते हो दूध पीकर मेरा तुम इस दूध को ही लजाते हो वाह रे पौरुष तेरा तुम खुद को पुरुष कहाते हो हर वक्त मेरे सीने पर नज़र तुम जमाते हो इस सीने में छुपी ममता क्यों देख नहीं पाते हो इक औरत ने जन्मा ,पाला -पोसा है तुम्हें बड़े होकर ये बात क्यों भूल जाते हो तेरे हर एक आँसू पर हज़ार खुशियाँ कुर्बान कर देती हूँ मैं क्यों तुम मेरे हजार आँसू भी नहीं देख पाते हो हवस की खातिर आदमी होकर क्यों नर पिशाच बन जाते हो हमें मर्यादा सिखाने वालों तुम अपनी मर्यादा क्यों भूल जाते हो हमें मर्यादा सिखाने वालों तुम अपनी मर्यादा क्यों भूल जाते हो...! पोस्ट अच्छी लगी हो तो ज्यादा से ज्यादा शेयर करें..🙏 कृपया अपनी और दूसरों की माताओं बहनों का सम्मान करें 🙏 #copy_by #VermaHindustani

एक स्त्री के योनि से जन्म लेने के बाद उसके वक्षस्थल से निकले दूध से अपनी भूख,प्यास मिटाने वाला इंसान बड़ा होते ही औरत से इन्हीं दो अंगो की चाहत रखता है, और अगर असफल होता है, तो इसी चाहत में वीभत्स तरीको को अंजाम देता है...! बलात्कार और फिर हत्या...! जननी वर्ग के साथ इस तरह की मानसिकता क्यूँ...? वध होना चाहिए ऐसी दूषित मानसिकता के लोगों का..... मेरे दूध का कर्ज़ मेरे ही खून से चुकाते हो कुछ इस तरह तुम अपना पौरुष दिखाते हो दूध पीकर मेरा तुम इस दूध को ही लजाते हो वाह रे पौरुष तेरा तुम खुद को पुरुष कहाते हो हर वक्त मेरे सीने पर नज़र तुम जमाते हो इस सीने में छुपी ममता क्यों देख नहीं पाते हो इक औरत ने जन्मा ,पाला -पोसा है तुम्हें बड़े होकर ये बात क्यों भूल जाते हो तेरे हर एक आँसू पर हज़ार खुशियाँ कुर्बान कर देती हूँ मैं क्यों तुम मेरे हजार आँसू भी नहीं देख पाते हो हवस की खातिर आदमी होकर क्यों नर पिशाच बन जाते हो हमें मर्यादा सिखाने वालों तुम अपनी मर्यादा क्यों भूल जाते हो हमें मर्यादा सिखाने वालों तुम अपनी मर्यादा क्यों भूल जाते हो...! पोस्ट अच्छी लगी हो तो ज्यादा से ज्यादा शेयर करें..🙏 कृपया अपनी और दूसरों की माताओं बहनों का सम्मान करें 🙏 #copy_by #VermaHindustani

Share This

via शायरी संग्रह https://ift.tt/2KZd6hn

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Post Bottom Ad

Responsive Ads Here

Pages