बैठे हैं दिल में ये अरमां जगाये,
कि वो आज नजरों से हमें अपनी पिलायें;
मजा तो तब ही पीने का यारो,
इधर हम पियें और नशा उनको हो जाये।
कि वो आज नजरों से हमें अपनी पिलायें;
मजा तो तब ही पीने का यारो,
इधर हम पियें और नशा उनको हो जाये।
About Shivam Upadhyay
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