नज़रें मिल जाएं तो प्यार हो जाता है,
पलकें उठ जाएं तो इज़हार हो जाता है,
ना जाने क्या कशिश है आपकी चाहत में,
कि कोई अनजान भी हमारी ज़िन्दगी का हक़दार हो जाता है।
पलकें उठ जाएं तो इज़हार हो जाता है,
ना जाने क्या कशिश है आपकी चाहत में,
कि कोई अनजान भी हमारी ज़िन्दगी का हक़दार हो जाता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें