तेरी नज़रों से दूर जाने के लिए तैयार तो थे हम,
फिर इस तरह, नज़रें घुमाने की जरूरत क्या थी,
तेरे एक इशारे पे, हम इल्जाम भी अपने सिर ले लेते,
फिर बेवजह, झूठे इल्जाम लगाने की जरुरत क्या थी।
फिर इस तरह, नज़रें घुमाने की जरूरत क्या थी,
तेरे एक इशारे पे, हम इल्जाम भी अपने सिर ले लेते,
फिर बेवजह, झूठे इल्जाम लगाने की जरुरत क्या थी।
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