Mehfil- Royal (Nawabi) Urdu Sher, Shayri Collection Part-3 - शायरी संग्रह - Shayari Sangrah

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Mehfil- Royal (Nawabi) Urdu Sher, Shayri Collection Part-3

Mehfil- Royal (Nawabi) Urdu Sher, Shayri Collection Part-3

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जल गया अपना नशेमन तो कोई बात नहीं,.,
देखना ये है कि अब आग किधर लगती है,.,!!!

Jal gaya apna nasheman to koi bat nahi
Dekhna ye hai ki ab aag kidhar lagti hai

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ज़िंदा हो तो ज़िंदा नजर आना जरुरी है
सहूलियत पाने के लिए पगलाना जरुरी है ,.,
शांति से जब ना बने कोई बात ,.,
तो आंधी तूफ़ान मचाना जरुरी है ,.,!!!

Jinda ho to jinda najar aana jaruri hai
Sahooliyat pane ke liye paglana jaruri hai
Shanti se jab na bane koi bat
To aandhi toofan machana jaruri hai

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जिसमें जितनी आग भरी है उसमें उतना पानी है,.,
जिसमें जितना पागलपन है वो उतना ही ज्ञानी है ,.,!!!

Jisme jitani aag bhari hai usme utna paani hai
Jisme jitna pagalpan hai wo utna hi gyani ha






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उदासी देख अपना ध्यान रखना...
कि मैं अब मुस्कुराने जा रहा हूँ...!!!

Udaasi dekh apna dhyan rakhna
Ki main ab muskurane ja raha hun

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मुझे शहरों से अंदाज़ा हुआ है,.,
दरिन्दे रहते नहीं अब जंगलों में,.,!!!

Mujhe shaharon se andaja hua hai
Darinde rahte nahi ab jangalon me

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मुद्दत से थी किसी से मिलने की आरजू
ख्वाइश -ए -दीदार में सब कुछ गँवा दिया ,.,
किसी से दी खबर वो आएं गे रात को
इतना किया उजाला घर तक जला दिया ,.,!!!

Muddat se this kisi se milne ki aarjoo
Khwaish-e-deedar me sab kuchh gawa diya
Kisi ne di khabar wo aaye ge raat ko
Itna kiya ujala ghar tak jala diya

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इतना भी गुमान न कर आपनी जीत पर ऐ बेखबर,
शहर में तेरे जीत से ज्यादा चर्चे तो मेरी हार के हैं..!!

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मेरे खुशनुमा इरादों मेरा साथ देना
किसी और से नही मेरा खुद से सामना है,.,!!

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मैं जैसा हूँ वैसा रहने दो
गर बिगड़ गया तो संभाला न जाऊं गा ,.,!!!

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एक बुंद नही जिनकी अपनी , वो प्यास बुझाने निकले हैँ,.,
पल- पल मे रंग बदलते हैँ , हमको समझाने निकले हैँ ,.,!!!

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शेर के पाँव में अगर काँटा चुभ जाए .
तो उसका ये मतलब नहीं की अब कुत्ते राज करेंगे.,.!!!

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जो तालाबों पर चौकीदारी करते हैँ.,.,
वो समन्दरों पर राज नहीं कर सकते,.,!!!

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इस सादगी पे कौन न मर जाये ए खुदा ,.,
के लड़ते भी हैं और हाथ में तलवार भी नहीं हैं ,.,!!!

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